भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तन की हवस / गोपालदास "नीरज"

110 bytes added, 19:36, 7 नवम्बर 2010
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=गोपालदास "नीरज"}} {{KKCatKavita‎}}
<poem>
तन की हवस मन को गुनाहगार बना देती है
बाग के बाग़ को बीमार बना देती है
भूखे पेटों को देशभक्ति सिखाने वालो
भूख इन्सान को गद्दार बना देती है </poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits