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<poem>
युगों पुरानी समुद्र की तरफ से आती सांस साँस
रात में
समुद्री हवा
जो भी जगता है उसे
अपना रास्ता सवयं स्वयं चुनना होगातुमसे ज्यादा ज़्यादा समय तक टिक रहने के लिए
समुद्र से आती युगों पुरानी सांस
मानो पुरातन शिलाओं के लिए ही मात्र बहती हुई
प्रविष्ट होती हुई...
चांद चाँद की रोशनी में ऊंचे ऊँचे खड़े
किसी मुकुलित अंजीर वृक्ष के द्वारा तुम किस कदर संवेगित.
</poem>
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