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बादली/चन्द्र सिंह

568 bytes added, 12:09, 13 नवम्बर 2010
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जीवन नै सह तरसिया बंजड झंकड़ वाड़|बरसे, भोली बादली आयो आज आसाड़||1||
आठूं पोर अड़ीकतां बीते दिन ज्यूँ मास|दरसन दे, अब बादली मुरधर नै मत तास ||2||
आस लगाया मुरधरा देख रही दिन रात |भागी आ तुं बादली, आई रुत बरसात ||3||
कोरां कोरां धोरियाँ डून्गा-डून्गा डेर|आव रमां ए बादली, ले-ले मुरधर ल्हेर||4|| ग्रीखम रुत धाझी धरा कलप रही दिन रात |मेह मिलावन बादली बरस बरस बरसात ||5|| नहीं नदी नाला अठे नहीं सरवर सरसाय |एक आसरो बादली मरू सुकी मत जाय ||6|| खो मत जीवन, बावली डूंगर-खोहां जाय |मिलन पुकारे मुरधरा रम रम धोरां आय ||7||
</poem>
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