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बादली/चन्द्र सिंह

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खो मत जीवन, बावली डूंगर-खोहां जाय |
मिलन पुकारे मुरधरा रम रम धोरां आय ||7||
 
नांव सुणया सुख उपजे जिवडे हुलस अपार |
रग रग नाचे कोड में दे दरसन जिन वार ||8||
 
 
</poem>
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