Changes

मोटो डर!/ कन्हैया लाल सेठिया

7 bytes added, 11:47, 16 नवम्बर 2010
रोही में फिर ल्याळी
 
आभै में गरणावे सिकरा
 
गेलां में रळकै वासक नाग
 
पण सैं स्यूं मोटो डर भुख,
 
जको कोनी बैठण दे
 
लरड़ी ने बाडै में
 
कबूतर नै आळे में
 
पग ने घर में !
</Poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits