1,196 bytes added,
12:11, 21 नवम्बर 2010 <poem>ऐसी तो कोई बात नहीं |
तुमसे भी छिपा संकुं जो मै
ऐसी तो कोई बात नहीं जीवन में |
मन दिया तुम्हें मैंने ही अपने मन से
रंग दिया तुम्हें मैंने अपने जीवन से
बीते सपनो में आये बिना तुम्हारे
ऐसी तो कोई रात नहीं जीवन में ।
जल का राजा सागर कितना लहराया
पर मेरे मन की प्यास बुझा कब पाया
जो बूँद बूँद बन प्यास तुम्हारी पी ले
ऐसी कोई बरसात नहीं जीवन में ।
कलियों के गावों में भौरे गाते है
गाते गाते वह अक्सर मर जाते हैं
मरने वाले को जो मरने से रोके
ऐसी कोई सौगात नहीं जीवन में |</poem>