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|रचनाकार=रमानाथ अवस्थी }} {{KKCatGeet}}<poem>
ऐसा कहीं होता नहीं
ऐसा कभी होगा नहीं।नहीं ।
धरती जले बरसे न घन,
सुलगे चिता झुलसे न तन।तन ।औ जिंदगी ज़िंदगी में हों न गम।ग़म ।
ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं।नहीं ।
हर नींद हो सपनों भरी,
डूबे न यौवन की तरी,
हरदम जिए हर आदमी,
उसमें न हो कोई कमी।कमी ।
ऐसा कभी होगा नहीं,
ऐसा कभी होता नहीं।नहीं ।
सूरज सुबह आए नहीं,
औ शाम को जाए नहीं।नहीं ।
तट को न दे चुम्बन लहर
औ मृत्यु को मिल जाए स्वर।स्वर ।
ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं।नहीं ।
दुख के बिना जीवन कटे,
सुख से किसी का मन हटे।हटे ।
पर्वत गिरे टूटे न कन,
औ प्यार बिन जी जाए मन।मन ।
ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं। नहीं ।
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