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पहले ऐसा लगाव था ही नहीं
यह हमारा स्वभाव था ही नहीं

सैकड़ों मर गए अभावों से
वो कहेंगे अभाव था ही नहीं

हार कर जंग लोग जब लौटे
जिस्म पर कोई घाव था ही नहीं

शहर देहात उस समय डूबे
जब नदी में बहाव था ही नहीं </poem>