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जगदलपुर का वीरान प्लेटफार्म / शरद चन्द्र गौड़
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04:35, 23 नवम्बर 2010
जीवित हो उठता हूँ मैं
जब आती है पैसेन्जर
मुसाफ़िरो
मुसाफ़िरों
का कोलाहल
चढ़ते-उतरते यात्री
फिर आती है
मेरी सुध नहीं ली
रायपुर-दुर्ग की
गाड़ियां
गाड़ियाँ
भी मैं
ना देख सका
अनिल जनविजय
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