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…देखो / सांवर दइया

695 bytes added, 11:20, 27 नवम्बर 2010
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यहाँ कविता लिखें।सूरज नै पजावण रो ढंग देखो !रात सूती नागी-तडंग देखो ! पैली तो ओलै-छानै लड़ता म्है,अब सड़कां माथै हुवै जंग देखो ! डुसकां सागै आया आंसू बारै,मन-दुख री बात चढगी चंग देखो ! घराळा छोड मुलक ढूकै आंगणै,दिल कितो दरियाव कित्तो तंग देखो ! आंधी नित निंदरावै खेतड़ला,पण ऊगै औ बीज दबंग देखो !
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