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<Poem>यह सूर के अंतर की झाँकी, यह तुलसी का अरमान भी है ।यह भूषण की ललकार भी है, औ संत कबीर का ज्ञान भी है ।है पन्त निराला का स्वप्न अगर तो दिनकर का अभिमान भी है ।हिंदी भाषा ही नहीं केवल, यह भारत की पहचान भी है ।</poem>