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|जीवनी=[[अरुण कुमार नागपाल / परिचय]]
{{KKCatHimachal}}
}}
* '''[[विश्वास का रबाब / अरुण कुमार नागपाल]]''' (कविता-संग्रह)
* '''[[आओ बन जाएँ / अरुण कुमार नागपाल]]''' (कविता-संग्रह)
*[[कॉक्रोच / अरुण कुमार नागपाल]]
*[[कुरुक्षेत्र/अरुण कुमार नागपाल ]]
थक हार गया हूँ मैं
खत्म हो चुके हैं
मेरे तरकश के सारे तीर टूट चुकी है तलवार अपना अतिंम भाला भी फेंक चुका हूँ मैं जीवन की ओर
अभिमन्यु के मनिंद उठा लिया है रथ का पहिया चुनौतियों से लड़ने के लिए
क्षत-विक्षत हो चुका है मेरा कवच और लहू के धारे बह रहे हैं मेरे बदन के घावों से
ऐसे में सोच रहा हूँ कहाँ है वो कृष्ण जिसने मेरी पीठ को थपथपाकर जीवन के कुरुक्षेत्र में कूद जाने का उपदेश दिया था ।
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