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विशेष दिन है चलें हम विशेष बात करें / कैलाश झा 'किंकर'

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विशेष दिन है चलें हम विशेष बात करें
अदब की बात चली चेहरा मिरात करें।

सबेर आएँ शहर आजकल डराता है
कभी भी आप नहीं इस तरह से रात करें।

कभी किसी से नहीं मैं ने दुश्मनी की है
ये आरजू है मेरे साथ भी न घात करें।

कहीं से बात उठे लेखकों का हो स्वागत
खुशी-ख़ुशी से किसी की तो तर्जुमात करें।

पिघल पड़ेंगे किसी मोम की तरह इक दिन
वफ़ा के साथ ज़रा-सा तो इल्तिफ़ात करें।