भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विश्वासघात / कंस्तांतिन कवाफ़ी / सुरेश सलिल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

‘‘अतः यद्यपि हम होमर की कविता में आई अनेक बातें मानते हैं, इसे हम नहीं मानेंगे... न ही अस्खिलस को, जहाँ वह थेटिस के विवाहोत्सव में, उसके होने वाले पुत्र, एकीलीस के बारे में अपोलो का यह प्रसंग लाता है :

‘कि रुग्णता कभी उसके पास नहीं फटकेगी। चिरजीवी होना, और प्रत्येक वरदान-आशीर्वचन उसके हित में होगा...’

‘और इतनी प्रशंसा की, कि मेरा हृदय प्रफुल्लित हो उठा, और मुझे आशा बन्धी कि दिव्यवाणी की कला में निपुण अपोलो की दिव्यवाणी मिथ्या नहीं होगी। — किन्तु जिसने ये घोषणाएँ की थीं... वही है यह !... जिसने मेरे पुत्र का वध किया...’

-प्लेटो, रिपब्लिक, पृष्ठ 383

थेटिस और पीलिअस जब विवाह सूत्र में बन्धे
भव्य विवाह-भोज में अपोलो खड़ा हुआ
आशीर्वाद दिया नवदम्पति को
पुत्र के बारे में
जो जन्म लेगा दोनों के मिलन से ।

‘रुग्णता कभी उसके पास नहीं फटकेगी’ कहा उसने
‘और वह चिरजीवी होगा ।’

सुनकर यह थेटिस अतीव प्रसन्न हुई :
शब्द ये अपोलो के, भविष्यवाणियाँ करने में पारँगत है जो,
उसके बेटे की सुरक्षा की आश्वस्ति लगे ।

और जब एकीलीस बड़ा हुआ
समूचे थेसली में स्वर गूँज उठा, कितना सुदर्शन है !
थेटिस को याद आए देवता के शब्द ।

किन्तु एक दिन कुछ ज्येष्ठजन आए समाचार लेकर
कि एकीलीस त्रोय के युद्ध में खेत रहा ।

फाड़ डाले थेटिस ने अपने नील-लोहित वस्त्र
उतार डाले कँगन, अँगूठियाँ
और उन्हें पटक दिया ज़मीन पर ।

शोक में विह्वल वह याद करने लगी
विवाह के अवसर को ।
कहा उसने, वह बुद्धिमान-प्रज्ञावान अपोलो !
कहाँ था तब वह कवि,
भोज के अवसर पर प्रवाहित की थी जिसने
भावप्रवण भावधारा ?

कहाँ था वह देवदूत
वध किया उन्होंने जब
पुत्र का मेरे — भरी जवानी में?

ज्येष्ठों ने उत्तर दिया :
अपोलो स्वयं अवतरित हुआ था त्रोय में
त्रोय के लोगों के साथ मिल कर
वध किया उसी ने तुम्हारे बेटे का ।...

[1904]

होमर : यूनान का आदिकवि जो अन्धा था। ‘इलियद’ और ‘ओदिसी’ काव्यों का रचनाकार। अनुमानित समय 1000 ई०पू० से 1100 ई०पू० के मध्य।

अस्खिलस : यूनानी नाटककार। समय ई०पू० 500 से ई०पू० 600 के मध्य।

प्लोटो : यूनानी दर्शनिक। समय 365 ई०पू० से 432 ई०पू० के मध्य।

अपोलो : यूनानी पौराणिकी का एक देवता जो औषधियों, गायन, वीणावादन तथा देववाणी [व्तम्बसम] के लिये विशेषरूप से जाना जाता है।

नोट : मूल कविता की पृष्ठभूमि के लिए ‘अकीलीस के अश्व’ शीर्षक कविता और उसकी पाद टिप्पणी देखें।
 
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल