विषधर चंगुल से गया, पीटी खूब लकीर।
किस मतलब का है सखे, चूक गया जो तीर॥
चूक गया जो तीर, लक्ष्य को भेद न पाया।
सूख गये जब खेत, गरजता सावन आया।
'ठकुरेला' कविराय, सभी शुभ लगे समय पर।
आता ऐसा काल, पूज्य हो जाता विषधर॥
विषधर चंगुल से गया, पीटी खूब लकीर।
किस मतलब का है सखे, चूक गया जो तीर॥
चूक गया जो तीर, लक्ष्य को भेद न पाया।
सूख गये जब खेत, गरजता सावन आया।
'ठकुरेला' कविराय, सभी शुभ लगे समय पर।
आता ऐसा काल, पूज्य हो जाता विषधर॥