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विस्मृत मित्र के लिए कुछ पंक्तियाँ-1 / शुभा
Kavita Kosh से
सबसे पुराने मित्र हैं हम और इसके बारे में
सबसे पुरानी है हमारी विस्मृति
यहाँ तक कि यह जो निरानंद है उसे
कहते हैं हम जीवन
कारोबार ख़ूब फैला है ऊर्जा का उत्पादन बढ़ रहा है और
पानी के लिए तरसते हुए हम कहते हैं मज़बूरी है
हम अकेले हैं विस्मृति एक-दूसरे की नहीं
उसी आनन्द की विस्मृति है ये जिसे
हमारे साथ ने पैदा किया
यूँ एक-दूसरे को तो जानते हैं हम
बाज़ारों में टंगे हैं स्तन और
कटा हुआ लिंग तड़्प रहा है सार्वजनिक स्थलों पर
इस तरह यह बाज़ार चलता है
अब न्याय लेना है हमें
एक-दूसरे से ही लड़कर
यह न्याय इतना निरानंद क्यों है?