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वीरमती कदे उठ चली जा बेठी इसी तला पै पाइये / मेहर सिंह

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एक बात तनैं कहकै जां सूं मेरे आए बिन मतना जाइये।
वीरमती कदे उठ चली जा बेठी इसी तला पै पाइये।टेक

जो खोटी म्हं नीत धरै सै,
वो ईश्वर तैं भी नहीं डरै सै,
यें ऊत लफंगे घणै फिरै सैं, गैर मनुष तैं मत बतलाइये
प्रदेशां मैं कोए ना हिमाती, तूं अपणी इज्जत आप बचाइये।

दुनियां भरी पड़ी सै छल की,
धोखा करैं ढील ना पल की,
इब दूखूंगा किसी अकल की तू पतिभ्रता का प्रण पुगाइये
तेरी दुनियां म्हं कीर्ति हो ज्यागी सती धर्म की डिग्री चाहिए।

फरक पड़ ज्या ना म्हारे तेरे प्यार म्हं
नैय्या ईब सै बीच मझधार म्हं
हम फंसरै सै पाप गार म्हं इसनै खींच बारणैं लाइये
तेरा पतिभ्रता का धर्म वण्या रहै इसी युक्ति आप बणाइये।

रै दुनियां बेकायदी ना बकती,
हौसे पतिव्रत धर्म मैं शक्ति,
भजन करे तैं मिलज्या मुक्ति बैठी राम नाम गुण गाइये
मेहर सिंह सब पाप कटेंगे गुरु अपणे नै शीश झुकाइये।