नासार-सी है आज ये तबीयत, कोई बड़ा-सा ग़म ढूँढ लाओ यारों, 
ये खरोंचें अब ज़हन को सुकूं देने लगी हैं, अब ज़रा नासूरों को हवा दो यारों
अरसा हुआ कुछ देर ख़ामोश बैठे, 
वीराने को खाली करा लाओ यारों, 
घर में तन्हाइयों ने गुनगुनाना सीख लिया है, 
आज किसी सूनी दहलीज़ पर बिस्तर लगाओ यारों, 
मैं तमन्नाओं को आग लगाकर आया हूँ दिलजला हूँ, 
इन हंसीं मंज़रों को मेरे रास्ते से हटाओ यारों, 
हिज़्र को तो रोज़ बहला ही लेता हूँ, 
उसके आगे है कोई गमों का दरिया तो दिखाओ यारों, 
इन तसव्वुर की खिड़कियों से आजकल फ़रेब झाँकता है, 
खुद्दारी से बुना हो ग़र कोई बेरुखी का पर्दा है तो गिराओ यारों, 
दर्द की गाह तो 'शिव' के हौंसले को होंश देती है, 
हो आस-पास कोई मयक़दा तो कदम बढ़ाओ यारों