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वेदना की इस घड़ी में / नमन दत्त
Kavita Kosh से
वेदना कि इस घड़ी में, हे प्रभू मत साथ छोड़ो ।
ये जगत मुँह मोड़ता है, आप तो मुँह को न मोड़ो ।
हैं समर्पित आस्था के फूल,
लो स्वीकार कर लो–
रागिनी उर की पुकारे,
स्वर ये एकाकार कर लो–
भावनाएँ न विफल हो जायें, यूँ नाता न तोड़ो ।
वेदना कि इस घड़ी में...
हम बुरे हैं और कलुषित,
हैं मगर फिर भी तुम्हारे–
तुम ही न दोगे सहारा,
तो रहें किसके सहारे–
इस घड़ी में साथ दे दो, आज निज प्रभुता को छोड़ो ।
वेदना कि इस घड़ी में...