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वेश्या एविलन रो का उपाख्यान (कथानक) / बैर्तोल्त ब्रेष्त / वीणा भाटिया

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जब बसन्त आया
समन्दर पीला पड़ चुका था
(उसका मन धड़कता रहा)
जहाज़ के साथ एक डोंगी बन्धी थी
और एक लड़की थी एविलन रो नाम की

बदन पर रोएँदार कमीज़
जो अलौकिक रूप से गोरा था
वो कोई सोने का गहना नहीं पहने थी
सिवाय अपने अद्भुत केशों के

ओह कप्तान !
ले चलो मुझे पुण्यलोक
मैं ज़रूर ईसा मसीह के पास जाऊँगी
ले चलेंगे हम तुम्हें
क्योंकि हम हैं बेवकूफ़
और तुम हसीनों में
सबसे हसीन हो

ईश्वर तुम्हें
इसका अच्छा बदला दे
मैं एक निर्धन लड़की
मेरी आत्मा
मेरे ईसा की अमानत है !

तब तो ज़रूर हमें
अपना शरीर दो
हे प्रिये !
जिस प्रभु से तुम इतना
नेह - स्नेह रखती हो
वह तुम्हारी देह का
भोग नहीं ले सकता
क्योंकि
वह तो काफ़ी पहले ही
मर चुका
धूप और हवा के साथ वे
जहाज़ में बहते रहे
और एविलन रो से
उन्होंने खासा प्रेम किया

उसने उनका खाना खाया
उसने उनकी मदिरा पी
और बहुत रोई
उसने जब - जब ऐसा किया

रात के समय नाचे
दिन के समय नृत्य किया
उन्होंने आख़िर अपनी
पतवारें डाल दी

एविलन रो
कितनी सुन्दर
कितनी कोमल थी
और वे पत्थर की तरह से
पूरे कठोर थे।

आई बसन्त ऋतु
गर्मियाँ गुज़र गईं
रात के समय
पुराने जूतों में भागती
वह मस्तूल दर मस्तूल
किसी शान्त समन्दर की तलाश में
अभागी लड़की, अभागी एविलन रो ।

वह नाची रातभर
दिन भर नृत्य किया
ऊब और थकान में
भारी मन, भारी तन
‘ओह कैप्टन’
कब पहुँचेंगे हम वहाँ
अपने प्रभु के नगर ?

कैप्टन
उसकी गुदाज बाँहों में लेटा था
चूमकर हंसा
‘अगर किसी को भी
दोष दे सकें’
हम वहाँ कभी भी न पहुँचे
तो वह कोई एविलन रो ही है

वह रात नाचती
वह नाचे सारा दिन
और घातक रूप से
थकन की बीमार हो
ऊब चुके थे सब
कैप्टन से लेकर
उस जहाज़ के छोरे तक
जो सबसे कमसिन थे

उसके शरीर पर
रेशम के कपड़े थे
ज़ख़्म थे, खुरण्ड था
जो खुरदरा हो आया था

उसके कलंकित माथे पर
लटकी हुई थी
बालों की मैली लट !

मैं आपको
कभी नहीं मिल पाऊँगी
ईसा ! मेरे प्रभु !
आप एक वेश्या की ख़ातिर
तो नहीं आ सकेंगे न,
और मैं
अब एक बदनाम औरत हूँ
मस्तूलों के दरमियान
वह घण्टों भागती
उसका दिल दुखता था
उसके पैर दुखते थे

जब तक कि
एक अन्धेरी रात में
जब उसे कोई नहीं देख रहा था
ख़ुद-ब-ख़ुद
वह उस तट को ढूँढ़ने निकल गई ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : वीणा भाटिया