भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वे अपनी ही गोद में / उदयन वाजपेयी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

... और उसके बच्चे

वे अपनी ही
गोद में सो
रहे हैं

वह उन्हें देखती है
और भूल जाती है
कि वह अब
नहीं
है !