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वे आ रहे हैं / पंकज सुबीर
Kavita Kosh से
वे चले आ रहे हैं
देखो वे चले आ रहे हैं
धर्म की ध्वजा लिए
तुमुल जयघोष करते हुए
क्या है रंग उनका?
वही...
जो होता है अस्ताचलगामी सूर्य का
देखो चले आ रहे हैं वो
हट जाओ रास्ते से
मैं कहता हूँ
हट जाओ रास्ते से
जानते नहीं
तुम्हें ही तो कुचलने के लिए
यूँ निकल पड़े हैं वो
चढ़ कर रथ पर
सुन नहीं रहे हो क्या तुम
रथ के घोड़ों की टॉप
भाग क्यों नहीं जाते
क्यों खड़े हो यहाँ
कुचले जाने के लिए
पर तुम भाग कर जाओगे कहाँ
अब कहाँ जा सकते हो तुम
अब तो ये रथ के पहिए ही तुम्हारी नियति हैं
क्या कहा?
तुम एक सच्चे भारतीय हो...
हा हा हा
क्या सबूत है तुम्हारे पास?
हो ही नहीं सकता
क्योंकि ये सबूत तो उनके पास भी नहीं है
जो चले आ रहे हैं चढ़कर रथ पर
तुम्हें कुचलने के लिए