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वे किशोर नयन / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
उसके वे नयन जो किशोर हैं,
रूप के विभोर जो चकोर हैं,
ऐसा कुछ
आज मुझे भा गए--
कि बावरा बना गए !
आह ! मुझे
प्यार की पुकार से
निहार गए,
और मुझे
म्लान हुए हार-सा
उतार गए ।