Last modified on 28 जुलाई 2010, at 19:45

वे चाहते ऐसा काम मिल जाए / सांवर दइया

वे चाहते ऐसा काम मिल जाए।
जिसे किए बिना ही नाम मिल जाए।

इस हद तक लगे हैं उनको पूजने,
यहां सुबह औ’ शाम मिल जाए।

जो लिया सदा पिछले दरवाजों से,
चाहने लगे सरेआम मिल जाए।

अब तो दिल में बची है हसरत यही,
जैसे भी हो, बस इनाम मिल जाए।

काली निगाहों से देख रहे दुनिया,
चाहते हैं दामन साफ़ मिल जाए।