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वे मरते नहीं / इधर कई दिनों से / अनिल पाण्डेय
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वो मरते नहीं
मारे भी नहीं जाते
मार भी नहीं सकता कोई उन्हें
वो जन्म लिये हैं
अकाल के गाल में
धकेलने के लिए सभी को॥