भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वे मरते नहीं / इधर कई दिनों से / अनिल पाण्डेय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वो मरते नहीं
मारे भी नहीं जाते
मार भी नहीं सकता कोई उन्हें
वो जन्म लिये हैं
अकाल के गाल में
धकेलने के लिए सभी को॥