वे सभी मृत्यु तक प्रचारक रहे
जन्म से उनका, परिचय नहीं रहा
वे स्वयं के परिचारक हुए
और उन्होने सौंप दिया अपना आयुष्य
दिखने की सनक को
क्यूंकि वो हो नहीं सकते थे
उनकी योग्यता रही, केवल उनका भ्रम
जो उन्हे सर्वश्रेष्ठ घोषित करती रही !!
वे सभी मृत्यु तक प्रचारक रहे
जन्म से उनका, परिचय नहीं रहा
वे स्वयं के परिचारक हुए
और उन्होने सौंप दिया अपना आयुष्य
दिखने की सनक को
क्यूंकि वो हो नहीं सकते थे
उनकी योग्यता रही, केवल उनका भ्रम
जो उन्हे सर्वश्रेष्ठ घोषित करती रही !!