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वो कौन है क्यूँ मुझको फिर सदा देता है / मोहम्मद इरशाद

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वो कौन है क्यूँ मुझको सदा देता है
ख़ामोश दिल में तूफाँ इक उठा देता है

उसका क्या गुनाह होगा यही सोचता हूँ मैं
देने वाला उसकों किस्तों में सज़ा देता है

वो अपने जख़्मे दिल का करता है यूँ इलाज़
हर दर्दे-दिल को दिल से बस दुआ देता है

कितने अजीब लोग तेरे शहर के हैं यार
पूछूँ मैं तेरा ख़ुद का वो पता देता है

‘इरशाद’ कैसे होगा रोशन ज़मीर वो
जलता हुआ चराग जो बुझा देता है