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वो जगह, जहाँ मैं नहीं गया हूँ / येहूदा आमिखाई / उज्ज्वल भट्टाचार्य

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वो जगह जहाँ मैं नहीं गया हूँ
कभी जाऊँगा भी नहीं.
वो जगह जहाँ मैं नहीं गया हूँ
ऐसी है कि मानो मैं वहाँ कभी नही गया । लोग
अपने जनम की धरती छोड़कर दूर चले जाते हैं
उन शब्दों से दूर जो बोले जाते हैं
मानो वे उनकी ज़ुबान से निकल रहे हो
और फिर भी उन वादों से काफ़ी दूर
जो किए गए थे ।

और वे खड़े-खड़े खाते और बैठे-बैठे मरते हैं
और लेटने पर उन्हें याद आता है ।
और दुनिया में जहाँ मुझे कतई नहीं लौटना है
और देखना है, उससे मुझे हमेशा प्यार रहेगा ।
कोई अजनबी ही मेरी जगह पर लौटेगा । लेकिन मैं
सबकुछ फिर से करूँगा, जैसा मूसा ने किया था

जब उसने पहले फलक को
तोड़ डाला था<ref>बाइबिल के अनुसार सिनाई पर्वत पर मूसा को एक फलक पर ईश्वर के हाथों से लिखे दस आदेश मिले थे। लेकिन उन्होंने उस फलक को तोड़ दिया, क्योंकि उसमें इज़रायल की सन्तानों द्वारा एक सोने के बछड़े को पूजते हुए दिखाया गया था। मूसा ने पत्थर काटकर एक दूसरा फलक तैयार किया और ईश्वर ने दुबारा अपने आदेश लिखे ।</ref>।*

अँग्रेज़ी से अनुवाद  : उज्ज्वल भट्टाचार्य

शब्दार्थ
<references/>