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वो नादां है जो बीते वक्त पर आँसू बहाता है / रविकांत अनमोल

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वो नादां है जो बीते वक्त पर आँसू बहाता है
ख़ुशा ऐ दिल ज़माना साल-ए-नौ<ref>नया साल</ref> के गीत गाता है

सुनाता है ये साल-ए-नौ की आमद<ref>आने</ref> पर कोई नग़्मा
कोई पंछी किसी डाली पे बैठा चहचहाता है

ये वो मौक़ा है जिसके इक बरस से मुन्तज़िर<ref>प्रतीक्षारत</ref> सब थे
ये ऐसा वक्त है जो साल में इक बार आता है

चलो इक बार फिर इसको ये मौक़ा दे के देखें हम
हमारे वास्ते ये साल-ए-नौ क्या ले के आता है

गुज़िश्ता<ref>पिछले</ref> साल हमने ज़ुल्म देखा नफ़रतें देखीं
चलो अब देखते हैं साल-ए-नौ क्या ले के आता है


शब्दार्थ
<references/>