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वो भेजै थनै / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
अवतार तौ
जुगो जुगं बीतीयां
एक बारई
धारण करै आपरौ बागौ
वो जांणै है आ बात
इणी सारूं
घड़ी-घड़ी
थनै भेजै मां
दुख नै भोगणियौ
इणरै टाळ कुण जलमियौ
आज तांई
आपांरी धरती माथै।