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वो मासूम ख़्वाहिश भी है याद मुझको / देवी नांगरानी

वो मासूम ख़्वाहिश भी है याद मुझको
मुक़द्दर की साज़िश भी है याद मुझको

जिन अश्कों ने आँखों को सैलाब बख़्शा
वो नमकीन बारिश भी है याद मुझको

जलाई अंधेरों में लौ दर्दे-दिल की
उजालों की आतिश भी है याद मुझको

छुपाए फिरूँ आज ख़ुद को हया से
वो कल की नुमाइश भी है याद मुझको

घरों को जलाया था फ़ितनागरों ने
वो शोलों की बारिश भी है याद मुझको

कभी ‘देवी’ इकरारे-उल्फ़त किया था
लबों की वो जुंबिश भी है याद मुझको