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वो रूए-पुरइताब दिखा कर चले गये / रतन पंडोरवी
Kavita Kosh से
वो रूए-पुरइताब दिखा कर चले गये
यानी जिगर में आग लगा कर चले गये
नाकामियां तो शौक़-शहादत की देखना
खंज़र ब-कफ़ वो सामने आ कर चले गये
सर भी हम-सफीर जो मेरे क़फ़स के पास
इक दिल-ख़राश नग़मा सुना कर चले गये
देखे कोई तकल्लुम-ए-ख़ामोश आप का
अफसानए-निगाह सुना कर चले गये
अच्छा करम हुआ ये मिरे हाल पर 'रतन'
आये भी वो तो होश उड़ा कर चले गये।