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वो हैं आमादा दिल दुखाने में / मोहम्मद इरशाद


वो आमादा दिल दुखाने में
फायदा है उन्हें भुलाने में

आज अहले ज़मीर का जीना
कितना मुश्किल है इस ज़माने में

मुझसे नज़रे मिला के बात करो
कुछ नही रोज़ के बहाने में

गै़र से दिल की बात करते हो
शर्म आती नहीं बताने में

मैं हूँ ज़िन्दा मेरा यकीन करो
रोज़ मरता हूँ ये बताने में

आपका नाम मैं नहीं लूँगा
मैं भी शामिल हूँ उस फसाने में

ग़ैर पर तुम यकीन करते हो
वो भी ‘इरशाद’ इस ज़माने में