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व्यर्थ प्रेम / सुनील गंगोपाध्याय / सुलोचना

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हर व्यर्थ प्रेम देता है मुझे नया अहंकार
बतौर मनुष्य, मैं हो जाता हूँ तनिक लम्बा
दुख मेरे सिर के बालों से पैरों की उँगलियों तक
फैल जाता है
मैं सभी मनुष्यों से अलग होकर एक
अज्ञात रास्ते में सुस्त क़दमों से
चलने लगता हूँ
सार्थक मनुष्यों के अधिकाधिक माँगों वाले चेहरे मुझे सहन नहीं होते
मैं रास्ते के कुत्ते को बिस्कुट ख़रीदकर देता हूँ
रिक्शेवाले को देता हूँ सिगरेट
अंधे आदमी की सफेद छड़ी मेरे पैरों के पास
आ गिरती है
मेरे दोनों हाथों में भरी है भरपूर दया, मुझे किसी ने
लौटा दिया है इसलिए पूरी दुनिया
लगती है बहुत अपनी
मैं निकलता हूँ घर से नई धुली हुई
पतलून - कमीज़ पहनकर
अपने सद्य दाढ़ी बने मुलायम चेहरे को
मैं ख़ुद ही सहलाता हूँ
बहुत गोपन में
मैं एक साफ आदमी हूँ
मेरे सर्वांग में कहीं भी
नहीं है ज़रा सी भी गंदगी
ज्योतिर्वलय बन रहती है अहंकार की प्रतिभा
माथे के पीछे
और कोई देखे या न देखे
मुझे भान हो ही जाता है
ले आता है अभिमान मेरे होठों पर स्मित - हास्य
मैं ऐसे रखता हूँ पाँव मिट्टी के सीने पर भी
कि नहीं पहुँचे आघात
मुझे तो किसी को भी दुख नहीं देना है ।


मूल बंगाली से अनुवाद : सुलोचना

लीजिए, अब बंगाली भाषा में यही कविता पढ़िए
             সুনীল গঙ্গোপাধ্যায়
                    ব্যর্থ প্রেম

প্রতিটি ব্যর্থ প্রেমই আমাকে নতুন অহঙ্কার দেয়
আমি মানুষ হিসেবে একটু লম্বা হয়ে উঠি
দুঃখ আমার মাথার চুল থেকে পায়ের আঙুল পর্যন্ত
ছড়িয়ে যায়
আমি সমস্ত মানুষের থেকে আলাদা হয়ে এক
অচেনা রাস্তা দিয়ে ধীরে পায়ে
হেঁটে যাই
সার্থক মানুষদের আরো-চাই মুখ আমার সহ্য হয় না
আমি পথের কুকুরকে বিস্কুট কিনে দিই
রিক্সাওয়ালাকে দিই সিগারেট
অন্ধ মানুষের শাদা লাঠি আমার পায়ের কাছে
খসে পড়ে
আমার দু‘হাত ভর্তি অঢেল দয়া, আমাকে কেউ
ফিরিয়ে দিয়েছে বলে গোটা দুনিয়াটাকে
মনে হয় খুব আপন
আমি বাড়ি থেকে বেরুই নতুন কাচা
প্যান্ট শার্ট পরে
আমার সদ্য দাড়ি কামানো নরম মুখখানিকে
আমি নিজেই আদর করি
খুব গোপনে
আমি একজন পরিচ্ছন্ন মানুষ
আমার সর্বাঙ্গে কোথাও
একটুও ময়লা নেই
অহঙ্কারের প্রতিভা জ্যোতির্বলয় হয়ে থাকে আমার
মাথার পেছনে
আর কেউ দেখুক বা না দেখুক
আমি ঠিক টের পাই
অভিমান আমার ওষ্ঠে এনে দেয় স্মিত হাস্য
আমি এমনভাবে পা ফেলি যেন মাটির বুকেও
আঘাত না লাগে
আমার তো কারুকে দুঃখ দেবার কথা নয়।