शक्कर से ज़रा बचकर रहना / नेहा नरुका
मेरी दोस्त, जब कोई तुमसे
सिर्फ़ फूल-पत्तियों की बातें करे,
तो सतर्क हो जाना
ज़्यादा मीठा बोलने वाले
अकसर सबके हिस्से की मिठाई ख़ुद खा जाते हैं
याद रखना, मेरी दोस्त !
शक्कर के गोदाम जलने के बाद कुछ नहीं देते
मगर नीम की पत्तियाँ
धुआँ बनकर भी मच्छर भगा देती हैं
मुझे तुमसे, बस, इतना कहना है
हमेशा मीठा लिखने वालों को मत पढ़ती रहना
ऐसे लेखक तुम्हें शक्कर की बीमारी लगा सकते हैं
कुछ नीम लेखकों को भी पढ़ लेना
ऐसे लेखक तुम्हें शक्कर की बीमारी से बचा लेंगे
मेरी दोस्त, तुमने देखा होगा
जिनके स्नानघरों में चीटियाँ रेंगती हैं
उनके रसोईघरों में
जलेबियाँ छिपाकर रखी जाती हैं
ऐसे लोग उम्रभर चाशनी में डूबना चाहते हैं
मगर तुम शक़्कर से जरा बचकर जीना
वे नहीं जानते कि शक्कर का आधिक्य
रक्त से सिर्फ ग्लूकोज़ ही नहीं छीनता
शरीर से जवानी भी छीन लेता है
बेशक तुम्हें झुर्रियों से प्रेम हो
बेशक तुम्हें औरों की अपेक्षा
थोड़ा कम जीने की चाह हो
फिर भी, कभी ‘मीठी मौत’ मत मरना, मेरी दोस्त !