भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शबरीक द्वार सँ चलल रघुनन्दन / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

शबरीक द्वार सँ चलल रघुनन्दन, शबरी खसल मुरछाइ
कल जोड़ि मिनती करै छी रघुनन्दन, नैना सँ झहरय नोर
अनघन भूषण वसन नहि हमरा, किए लय करब बिदाइ
एहन चरण राजा कहाँ हम पायब, राखब हृदय लगाय
भनहि विद्यापति सुनू हे रमापति, लीखल मेटल नहि जाय