भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शब्द / पूर्णिमा वर्मन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


शब्द दोस्त हैं मेरे

अलग-अलग काम के लिए

अलग-अलग वक्त पर

सहयोग करते हुए

मेरी भाषा के शब्द

मेरे साथ बढ़ते हुए ।


मुश्किल में वही काम आए हैं

मेरे विश्वास पर खरे उतरते हुए

जब कोई साथ न दे

वही बने हैं मेरा संबल

मेरा धर्म,

मेरा ईश्वर

मेरा दर्शन

रात के अंधेरे से

सुबह के उजाले तक

कभी मेरी राह

कभी मेरी मंज़िल

कभी हमसफ़र


ठीक ही कहा है--

शब्द-ब्रह्म ।