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शब्द / सपन सारन
Kavita Kosh से
“ क्या तुम्हें गोद में ले लूँ —
आत्म-मोही बच्चे की तरह
— झूला झुला दूँ, लोरी सूना दूँ ?
क्या तुम्हें सर पर बिठा दूँ —
घमण्डी प्रेमी की तरह
— दिन का हर मिनट तुम्हारे नाम लिख दूँ ?
के तुम्हें थप्पड़ लगा दूँ
गाली दे दूँ
बाल खींचकर
अन्धेरे कमरे में
महीने भर के लिए तुम्हें
बन्द कर दूँ ? —
— बिना पानी, बिना हवा, बिना बातचीत के ?
और जब तुम ज़ोर-ज़ोर से
चीख़ो
चिल्लाओ
झुलसो
रोओ
तड़पो
सहमो
काँपो
… और हार जाओ
तब बाहर निकाल कर
चाय पे पूछूँ तुमसे
मेरे साथ रहोगे ? ”
— कवि ने कहा शब्द से ।