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शमा से कोई कह दे / गोपाल सिंह नेपाली

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शमा से कोई कह दे कि तेरे रहते-रहते अँधेरा हो रहा
कि तुम हो वहाँ तो मिलने को यहाँ पतंगा रो रहा
सितारो उनसे कहना नज़ारों उनसे कहना सज़ा हो रही
कि तुम हो वहाँ तो मिलने को यहाँ शमा रो रही
सितारो उनसे कहना ...
मु :तड़पता प्यार कि हो दीदार मगर दीवार हमें रोके
शमा ऐसे जले जैसे पतंगे से (जुदा हो के)
दुहाई देते-देते जुदाई सहते-सहते अन्धेरा हो रहा
कि तुम हो वहाँ...

बँधी ज़ंजीर मगर बेपीर तेरी तस्वीर नहीं जाती
सितम की बात सहें हम घात मिलन की रात (नहीं आती)
कि आहें भरते-भरते तड़प के मरते-मरते अँधेरा हो रहा
कि तुम हो वहाँ...