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शरशय्या / दोसर सर्ग / भाग 9 / बुद्धिधारी सिंह 'रमाकर'
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पुत्रप्राप्ति लए करइत यत्न।
व्यास संग धए कएल प्रयत्न।।36।।
आँखि मूनि लाजक धए संग।
आन्हर पुत्र “धृतराष्ट्र“क अंग।।37।।
हरदि लेपि ओ देहहिं लेल।
पीयर ‘पाण्डु’ तनय’ ते भेल।।38।।
दासी गर्भहिं विदुर महान।
भेला भक्त काज नहि आन।।39।।
अन्ध कोन कए करितथि काज।
पाण्डुक हाथ समर्पल राज।।40।।
गान्धारी जेठक जे नारि।
शतसुत पाओल गौरव धारि।।41।।
अग्रज दुर्योधन अति वीर।
भेला ख्यात गदाक प्रवीर।।42।।
पाण्डु पक्ष दुइ पत्नी लाबि।
कुन्ती माद्री भोगल पाबि।।43।।
धर्म बृकोदर, पार्थ प्रबीण।
कुन्ती सिरजल बालक तीन।।44।।
सुन्दर नकुल प्रभा जनु देव।
पाओल माद्री सुत सहदेव।।45।।
पाण्डुक पाँच तत्त्व फुटि गेल।
नृपति प्रयोजन लगल भेल।।46।।