शरीर की भीतरी दशा / विपिन चौधरी
मरने से पहले जिन्दा रहना जरूरी है
लेकिन जीनें का एक बहाना तो शिराओं में बहते रक्त
के पास है
जो एकबारगी
भीतर के एक उन्नत रास्ते को देख थम गया है
लाल रक्त की कोशिकाएं धीरे-धीरे
एक मृत ढेर में तब्दील हो रही हैं
गुदा, लहू साफ़ करने के अपने पाक धर्म से
विचलित सी जान पड़ रही है
बाहर की व्यवस्था पर मैं अपना पाँव रख कर खड़ी हूँ
पर भीतर की व्यवस्था मुझसे बगावत करने को बेतरह आतुर है
आंखे सही अक्स उतारने में आना-कानी कर रही हैं
एक औंस रक्त साफ़ करने में
ह्रदय को पसीना आने लगा है
दिमाग को भेजे गए सन्देश
अपना परम्परागत रास्ता भटक चुके हैं
सांस, एक कराह के साथ बाहर का रास्ता खोज रही है
पशोपेश में हूं कि
पहले तन साथ छोडेगा या मन
तन पहले चला जाये तो ठीक
मन के बिना एक पल की गुज़र बेमानी है