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शहर में शहर की गंध है / लाल्टू

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बारिश में बहती
नक्षत्रों के बीच
यात्राओं पर चली
मानव की गंध।

शहर में शहर की गंध है
मानव की गंध
सड़क पर मशीनें बन दौड़ती

बचते हम सरक आते
टूटे कूड़ेदानों के पास
वहां लेटी वही मानव-गंध

मानव-शिशु लेटा है
पटसन की बोरियों में

गू-मूत के पास सक्रिय उसकी उँगलियाँ
शहर की गंध बटोर रहीं
जश्न-ए-आज़ादी से फिंके राष्ट्रध्वज में