भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शहर में साँप / 22 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
Kavita Kosh से
साँप कहलकै
आदमी केॅ/भगवान से
एैती जहर मिलल छै कि
ओकरो एैंख में आरो
साँस में भी जहर घुलल छै।
अनुवाद:
साँप ने कहा
आदमी को/भगवान से
इतना जहर मिला है कि
उसकी आँखों में और
साँसों में भी जहर घुला है।