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शहर में साँप / 33 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
Kavita Kosh से
आदमी ने कहलकै साँप से
अपन बिल बनाय केॅ किये नै रहै छै
साँप ने कहलकै
सेंध मारे के कला/तोंय नै सिखैलें
नै तेॅ/ऊ भी आय
यै में माहिर होथियै।
अनुवाद:
आदमी ने कहा साँप से
अपना बिल बना कर क्यों नहीं रहते?
साँप ने कहा
सेंध मारने की कला/तुमने नहीं सिखायी
वरना वे भी आज
इसमें माहिर होते।