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शहर में साँप / 35 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
Kavita Kosh से
आदमी
अपन घोॅर में सुतल रहै
जोर-जोर से खर्राटा लैय रहल रहै
घोॅर में छिपल साँप
बेहोश होल जाय रहल रहै
भागते हुवै बोललै/आवे
आदमी के साँस में भी जहर होय रहल छै।
अनुवाद:
आदमी
अपने घर में सो रहा था
जोर-जोर से खर्राटा ले रहा था
घर में छिपा साँप
बेहोश हुए जा रहा था
भागते हुए बोला/अब
आदमी के साँस में भी जहर हो रहा है।