शादी के बाद / शुभम श्री
पढ़ लेना
घूम लेना
पहन लेना
उड़ लेना
हमारी ज़िम्मेदारी नहीं
अच्छा बुरा हमारा नहीं
जैसा वे चाहें
उनकी ज़िम्मेदारी
एक ज़िम्मेदारी से दूसरी ज़िम्मेदारी में तब्दील होते हुए
ख़ूबसूरत सपने थे, प्रेरक कथाएँ थीं
टीचरों और डॉक्टरों की, आइ०ए०एसों० की भी
सर्दियों में परीक्षा देने-दिलाने का सपना
एक कोई सेण्टर जहाँ बाइक की पिछली सीट पर बैठे जाया जाएगा
और एक दिन कोई बहुत प्यार से रिजल्ट लाएगा
बधाई हो तुम पास हुईं फर्स्ट डिवीजन
लेकिन पेट में बच्चा लेकर चालीस रोटियाँ बेलने का कोई उदाहरण रहा था पहले
यह मालूम नहीं
फेल होकर घर रहने और दिन के दो बजे पोंछा लगाकर नहाने का कोई उदाहरण भी नहीं था
उनके लिए आलू की तरी, माँजी के लिए उबली लौकी, पापाजी के लिए करेले का जूस और बिट्टूजी के लिए पराँठे
इनका टिफ़िन, उनका टिफ़िन, फिर नाश्ते के बर्तन
फिर दिन का खाना, दिन के बर्तन
फिर शाम का नाश्ता, शाम के बर्तन, शाम की आरती
रात का खाना, रात के बर्तन
इस बीच उठते चाय सोते चाय खड़े खड़े बैठे बैठे चाय चाय
इतनी चाय कि कोई कहे भूकम्प आया, भागो
तो सुनाई दे तीन चाय
कहाँ दबे थे अब तक ये उदाहरण?