भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शारदीया / दिनेश कुमार शुक्ल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़रा हीके
और फीके
रंग वाले
क्वाँर के ये फूल

तिल
तरोई
उरद
परबा-घास के

शरद की गंभीर
गंगा से अधिक गंभीर
फीके रंग
वाले फूल

फूले काँस कुस.......

दीप्ति से खंजन-नयन की
हो रहा है भासमान
आस्मान
हो रहा है शरद की गंगा...