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शासक / अहमेद फ़ौआद नेग़्म / राजेश चन्द्र
Kavita Kosh से
हमारे श्रम और
माथे के पसीनों से
खेतों की बजाय,
तुम बनाते हो आलीशान महल,
शराबख़ाने, कारख़ानों से सटे हुए
और जेलें, पार्कों के बदले में ।
तुम खुला छोड़ देते हो
अपने कुत्तों को
गलियों की हवा खाने के लिए
और हमें बन्द कर देते हो
कोठरियों-तहख़ानों के सीलन भरे अन्धेरों में ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र