शिव जी हीरो बनोॅ हो-06 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'
दादरा
गौरा के अइलै बरतिया हे चलोॅ देखैल सखिया।।
दुल्हा के देहोॅ में जामा नै जोड़ा
भरलोॅ छै राख विभूतिया हे चलोॅ देखैल’ सखिया।।
सोना के माला नै, सांपोॅ के माला
जट्टा में छै गंगा मैया है चलोॅ देखैल’ सखिया।।
संगी के साथी के बात मत पूछोॅ
भूते परेत बरतिया हे चलोॅ देखैल’ सखिया।।
माथा नै मौरी नै लाली पगडिया
दूलहा क’ बड़का छै दढ़िया हे चलोॅ देखैल’ सखिया।।
हाथी नै घोड़ा नै मोटर नै पालकी
दुल्हा के लाले लाल अंखिया हे चलोॅ देखैल’ सखिया।।
तीनों लोक के मालिक गौरा के माय
ऐलोॅछौं तोरोॅ दुअरिया हे चलोॅ देखैल’ सखिया।।
दादरा
शिवजी के जट्टा में गांग हो माथां में चमके चनरमां
मुंहोॅ में धथूरा गोला भांग हो माथां चमके चनरमां
कार्त्तिक गौरी गणेश, बूढ़ोॅ बैल नाग शेष
भोला के त’ एतने समांग हो माथां चमके चनरमां।।
त्रिभुवन में शिव समान दाता नै कोय आन
हिनका सें सब कुछ तों मांग हो माथां चमके चनरमां।।
शिव शंकर हर महेश दुखिया के हरोॅ क्लेष
‘लालोॅ’ के राखोॅ समांग हो माथां चमके चनरमां।।