शिव जी हीरो बनोॅ हो-23 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'
झूमर-दादरा
मानोॅ मानोॅ बलमजी हमार बतिया
अजी निकलोॅ नै गरमी में दुपहरिया
गरमी के रतिया में लाली पलंग चढ़ी
लेभौं बलमुजी लगाय छतिया
लामी लामी केसिया के छैयां में सैयां
रिझैभौं सुतैभौं डोलाय बेनियाँ।।
राग पीलू-ताल दादरा
हमरोॅ पिया परदेसिया हो रामा
कानी कानी कटैछी रतिया हो रामा।।
सूनी सेजरिया मनहूँ नै भावॅ
बरसैछै निस दिन अंखिया हो रामा।।
जब सें पिया छोड़ी गेलै बिदेसवा
हमरा भोजन कै नै पतिया हो रामा।।
दिन कॅ नै चैन रैन नहीं निंदिया
केकरा कहबै जी के बतिया हो रामा।।
झूमर-दादरा
हमरे अचरा कैन्हें उड़ी उड़ी जायछै
उड़ी उड़ी जायछै जी गिरी गिरी जायछै
छोटी बड़ी सभ्भे तॅ जायछै बजरिया
हमरे रुपिया कैन्हें गिरी गिरी जायछै
सब के घरोॅ में छै नौकर रसोइया
हमरे यहां के कैन्हें भागी भागी जायछै
सब के बलम सखि घरहैं रहैछै
हमरे बलमू कहाँ रहि रहि जायछै
गोदी में सबके खेलैछै बलकबा
हमरे गोदी कैन्हें सूनो सूनो रहि जायछै
छोटी बड़ी केकरो नै फाटैछै अंगिया
हमरे अंगिया कैन्हें फटी फटी जायछै।